"हिंदुस्तान से दरख़्वास्त आई थी कि हिंदुस्तान के वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी पाकिस्तान के एयर स्पेस से होकर
जाना चाह रहे थे. कश्मीर के हालात को देखते हुए हमने फ़ैसला किया है कि हम
इसकी इजाज़त नहीं देंगे."
ये पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी के शब्द हैं. जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 के हटाए जाने के फ़ैसले के बाद से पाकिस्तान अपना विरोध जताने के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहा है. भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाकिस्तान के वायुक्षेत्र से गुज़रने की अनुमति न देना भी इसी कड़ी का एक हिस्सा है.
इससे पहले पाकिस्तान ने भारतीय राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हवाई जहाज़ को भी अपने एयरस्पेस में प्रवेश की अनुमति नहीं दी थी.
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने पाकिस्तान के इस क़दम की निंदा की है और कहा है कि पाकिस्तान को इस पर दोबारा विचार करने को कहा है.
प्रधानमंत्री मोदी 21 सितंबर को अमरीका की यात्रा पर जा रहे हैं, वहां वह 22 सितंबर को ह्यूस्टन में 'हाउडी मोदी' कार्यक्रम में शामिल होंगे.
इन सबके बीच एक अहम सवाल ये है कि क्या किसी देश को अधिकार है कि वो अपने हवाई क्षेत्र को दूसरों के लिए प्रतिबंध कर दे?
हिंदू बिज़नेस लाइन में पिछले कई वर्षों से एविएशन कवर करने वाले वरिष्ठ पत्रकार अश्विनी फड़नीस कहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय क़ानून इसकी इजाज़त देता है.
उन्होंने बीबीसी हिंदी से बताया, "हर संप्रभु देश को ये अधिकार है कि वो अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के मद्देनज़र अपने वायुक्षेत्र को दूसरों के प्रवेश से दूर रख सके. अपने नागरिकों की सुरक्षा किसी भी देश की प्राथमिकता होती है. ऐसे में अगर किसी देश को लगता है कि दूसरी जगहों से आने वाले विमान उसकी सुरक्षा के लिए ख़तरा बन सकते हैं तो वो उन्हें बेशक़ अपने एयरस्पेस में आने से रोक सकता है."
दुनिया भर के देश इन्हीं नियमों के तहत दूसरे देशों के विमानों को अपने वायुक्षेत्र में आने से रोकते हैं. ये संस्था दुनिया के अलग-अलग देशों में पैदा तनाव और घटनाक्रमों पर लगातार नज़र रखती है और देखती है कि कौन सा वायुक्षेत्र विमानों के आवागमन के लिए असुरक्षित हो सकता है.
वैसे तो एयरस्पेस बंद करने के पीछे आम तौर पर राष्ट्रीय सुरक्षा का ही मसला होता है लेकिन कुछ अन्य परिस्थितियों में भी ये फ़ैसला लिया जा सकता है.
अश्विनी फड़नीस इसका एक उदाहरण देते हैं, "इंडोनेशिया में कुछ साल पहले एक भयानक ज्वालामुखी फटा था और इसकी वजह से वहां का वायुक्षेत्र बहुत प्रदूषित हो गया था. इसके बाद एयरलाइंस ने ख़ुद ही उस एयरस्पेस में जाने से इनकार कर दिया था."
एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक जितेंद्र भार्गव भी इस बारे में अश्विनी फड़नीस से सहमति जताते हैं.
वो कहते हैं, "अपने एयरस्पेस पर किसी देश का पूरा अधिकार होता है. इसलिए पाकिस्तान ने क़ानूनी तौर पर किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया है."
जितेंद्र भार्गव बताते हैं कि जब कोई विमान किसी अन्य देश के वायुक्षेत्र में प्रवेश करता है तो वहां का एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल (एटीसी) विभाग विमान को तब तक पूरी तरह गाइड करता है, जब तक विमान उसके वायुक्षेत्र से सही-सलामत बाहर नहीं निकल जाता.
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